पूरे विश्व में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाए जाने की तैयारियां अप्रवासी भारतवाशियों के साथ-साथ विदेशियों द्वारा भी की जा रही है। अपने देश में 2014 में केंद्र की सरकार की कमान संभालने के बाद प्रधानमंत्री के रूप में श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा स्वच्छता अभियान की शुरूआत कर राष्ट्रपिता को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि दी गई। वर्तमान में देशभर में एक साल तक गांधी जयंती का जश्न मनाया जा रहा है। इस बार श्री नरेंद्र मोदी द्वारा सबको लगभग 2 किलोमीटर तक पैदल चलने तथा सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा न डालने और अगर कहीं पड़ा है तो उसे उठाकर एक स्थान पर डालने का आग्रह करते हुए जहां आम आदमी के स्वस्थ रहने का संदेश दिया गया है। वहीं साफ-सुथरा माहौल स्थापित करने का मार्ग भी प्रशस्त किया गया है। शांति सदभाव और एक-दूसरे से प्रेम करने का संदेश राष्ट्रपिता की यह अनमोल विरासत थी। तथा पे्रम और वात्साल्य की भावना और उनकी मजबूत सोच का ही परिणााम था कि आज हर शांति प्रिय नागरिक उनको याद करता है और 2 अक्टूबर को उनके जन्मदिवस पर दुनियाभर में अपने-अपने हिसाब से समारोह आयोजित किए जाते हैं।
1893 में नेताल इंडिया की स्थापना की
किताबों में मिलने वाली जानकारी के अनुसार 1893 में कारोबारी अब्दुल्ला की कंपनी की मदद हेतु दक्षिण अफ्रीका गए मोहनदास करमचंद गांधी द्वारा 1894 में वहां नेताल इंडिया कांग्रेस की स्थापना कर राजनीतिक रूप में अपनी एक मजबूत पहचान खड़ी की और 1896 तक तीन साल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जनमानस के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो चुके थे।
अमेरिका सहित विदेशों में मूर्तियां व स्मारक
बताते चलें कि गांधी जी जानकारों के अनुसार कभी अमेरिका नहीं गए लेकिन वहां उनकी मूर्तियां और स्मारक भारी तादात में है और गांधी जयंती के मौके पर अनेको कार्यक्रम भी किए जाते हैं। इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद नीति के खिलाफ आवाज उठाने वाले बापू की प्रतिमाएं यहां भी अलग-अलग रूपों में स्थापित हैं। तो दुबई में गांधी जी की जयंती पर पीस वाॅक का आयोजन हा रहा हैं। इसके अलावा भी दुनियाभर में आयोजन हो रहे हैं जो इस बात का प्रतीक है कि विश्वास कितना मजबूत है।
सभी धर्मों का सम्मान
कहते हैं कि बापू की हिंदू धर्म में गहरी आस्था थी लेकिन सभी धर्माें का वो एक समान आदर और सम्मान करते थे। शायद यही कारण रहा कि वो सबकी आंखों के तारे और हर व्यक्ति के दुलारे तो बने ही। हमें स्वतंत्रता के माहौल में निर्भीक होकर सांस लेने का अवसर और अपनी बात कहने का मौका भी उनके द्वारा उपलब्ध कराया गया। चर्चा यह भी सुनाई देती है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी में आजादी के प्रति अलख जगाने में श्रीमद रामचंद्र जी जैसे कुछ देशप्रेमियों का बड़ा योगदान रहा।
भूख गरीबी और भय से मुक्ति
देश की आजादी के साथ-साथ राष्ट्रपिता की यह भी प्रबल इच्छा बताई जाती थी कि वो स्वतंत्रता के साथ साथ भूख गरीबी और भय से आम आदमी को स्वतंत्र करना चाहते थे। उनके द्वारा आजादी की लड़ाई जो अंिहंसक रूप से लड़ी गई उसमें मानव सेवा का संदेश देकर सबको एकजुट करने के साथ-साथ अपने विभिन्न रूपों में चलाए गए स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में स्त्रियों की भागीदारी भी मजबूती से तय की।
साबरमती में आयोजन
अपने आप में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की दृष्टि से देखे तो गांधी जी युग अवतार के रूप में अवतरित हुए और उन्होंने कभी अपने इरादों के तहत आने वाले कार्याे से कोई समझौता नहीं किया। परिणाम यह हुआ कि आज हम स्वतंत्र माहौल में और देश में सांस ले रहे हैं। उनके प्रिय स्थल गुजरात के साबरमती आश्रम सहित जगह जगह अनेको आयोजन किए जा रहे हैं और उनमें भाग लेने के लिए दूर दूर से गांधीवादी स्वतंत्रता सैनानी और राष्ट्रभक्त बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं।
जयंती पर रिहा होंगे कैदी
सबको न्याय मिले कमजोर और गरीब सताया ना जाए इसका ध्यान जैसा कि लोग बताते हैं उनके द्वारा भरपूर तरीके से रखा जाता था। शायद इसीलिए केंद्र की सरकार द्वारा दिल्ली में बड़े अपराधों से संबंध मुजरिमों को छोड़ काफी तादाद में कैदियों को रिहा करने की घोषणा की गई है और मुझे लगता है कि प्रदेशों की सरकारें भी इस दिन छोटे-मोटे मामलों में विभिन्न कारणों से बंदी कैदियों को रिहा करेगी।
केंद्र और प्रदेश की सरकारें जिस माॅब लांचिंग से नागरिकों को बचाने के लिए नए कानून बनाने और सख्ती अपनाने की बात कर रहे हैं उस माॅब लांचिंग का शिकार एक बार राष्ट्रपिता भी एक बार होते होते बचे। इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह अपराध और गलत सोच पहले से ही चली आ रही है। अगर हम सबने पहले ही इसका विरोध किया होता तो आज यह इतना विकराल न होती जिससे समाज में तनाव की स्थिति होती है।
कुछ बात समान है मोदी और गांधी में
अभी पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में भाग लेने अमेरिका गए। अत्यंत सफल इस दौरे के समय अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा नरेंद्र मोदी को फादर आॅफ नेशन बताया गया था। राष्ट्रपिता के पड़पोते तुषार गांधी को इस पर ऐतराज है। वो गांधी जी के वंशज हैं इसलिए इस बारे में तो मुझे कुछ नहीं कहना लेकिन कुछ बातें तो पीएम मोदी और गांधी जी की मिलती है क्योंकि राष्ट्रपिता भी मजबूत इरादों के मालिक थे और मोदी भी इस सोच के हैं। गांधी जी का भी पूरा देश और उसके नागरिक रिश्तेदार थे तो एकमात्र अपनी माताजी के प्रति लगाव को छोड़ दें तो हमारे प्रधानमंत्री पर भी लगभग साढ़े पांच साल के कार्यकाल में कोई भाई भतीजावाद का आरोप नहीं लगा और वो भी सारे देश को अपना घर और नागरिकों को अपना मानकर देश चला रहे हैं। इसलिए विरोधी कुछ भी कहें लेकिन ट्रंप का कथन कोई गलत नहीं है। क्योंकि उन्होंने गांधी जी से तुलना नहीं की बल्कि अपनी बात कही है और यह अधिकार सबको है।
युवाओं में भी खादी का के्रज
2 अक्टूबर को हम सब मिलकर गांधी जी और सच्चाई तथा ईमानदारी के प्रतीक देश को जय जवान जय किसान का नारा देने वाले हर नागरिक के प्रेरणा स्त्रोत पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाने जा रहे हैं। गांधी जी का स्वदेशी और खादी को बढ़ावा देने का अभियान अब हर सोच वाले युवाओं के सिर चढ़कर बोल रहा है तथा लाल बहादुर शास्त्री जी का प्रिय नारा जय जवान जय किसान को हमने आत्मसात कर लिया है। आओ सब मिलकर उनके सपने गरीबों का उत्थान सबको शिक्षा मिले भूख भय और गरीबी से हर नागरिक मुक्त हो। को पूरा करने के लिए हमारी सरकार द्वारा जो अभियान चलाए जा रहे है ं उनमें कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग करने और जो लोग इसमें किसी भी रूप में अड़ंगे अटका रहे हैं गांधी वादी तरीके से उनका पर्दाफाश करने का संकल्प लें यहीं राष्ट्रपिता और पे्ररणास्त्रोत लाल बहादुर शास्त्री को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
गांधी-शास्त्री जैसी संतानें
इन्हीं शब्दों के साथ समस्त नागरिकों को हम सब मिलकर 150वीं उनकी वर्षगांठ के अवसर पर उनके आदर्शों और सिद्धांतों को आत्मसात करने की मजबूत सोच के साथ उन्हें श्रद्धांजलि और देशवासियों को अपनी बधाई देते हें और यह कामना करते हैं कि भगवान गांधी जी और शास्त्री जी जैसी संताने हमारे बीच भेंजे क्योंकि समाज को ऐसे महान विचारकों और योद्धाओं की राष्ट्रहित में बड़ी आवश्यकता है।
2 अक्टूबर गांधी जयंती पर विशेष देश को अभी और आवश्यकता है गांधी-शास्त्री की